ब्लूस्काई और मैस्टडोन साधु और महात्मा लोगों के लिए अच्छी जगह है। आम लोग यहां बोर हो सकते हैं, और महफ़िलें लगाने वाले और हंसी-ठहाका करने वाले लोग तो यहां गारंटी के साथ बोर हो जाएंगे। लेकिन यहां का वातावरण सीखने और पर्सनैलिटी डेवलपमेंट के लिहाज़ से ज़्यादा अनुकूल है।
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मैं मेरा मेरी फ़ोटो मेरा फ़ोन मेरी कार मेरा घर मेरा बेटा मेरा ख़ानदान मेरी बिरादरी मेरा मोहल्ला मेरा गाँव मेरा शहर मेरा देश . . . यही लोग आला दरजे के बेवक़ूफ़ हैं। अल्लाह ने इनको पूरी ज़मीन, पूरी इंसानियत, पूरा ब्रह्मंड दिया, लेकिन लालच ने इन्हें बड़ा लेने के बजाय छोटे में जकड़ दिया। जब यह मरेंगे तो इनको पता चलेगा कि मेरा जिस्म भी मेरा नहीं था, बल्कि अल्लाह का था।
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